Dil Hi to Hai
Saturday, April 7, 2012
चाह (ग़ालिब)
मैंने चाहा था कि अन्दोह-ए-वफ़ा से छूटूं
वह सितमगर मेरे मरने पे भी राज़ी न हुआ
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment