Tuesday, August 20, 2013

आजतक मेरे साथ है (खाजा परवेज़)

जो न मिल  सके वो ही बेवफा ये बड़ी अजीबसी बात है
जो चला गया मुझे छोड़ कर वो ही आजतक मेरे साथ है

जो किसी नज़र से अता  हुई, वो ही रोशनी है खयाल में
वो न आ सके  रहूँ मुन्तज़र , यह खलिश कहा थी विसाल में
मेरी जुस्तजू को खबर नहीं , न वो दिन रहें न वो रात है
जो चला गया मुझे छोड़ कर वो ही आजतक मेरे साथ है

करे प्यार लब पे गिला न हो, ये किसी किसी का नसीब है
यह करम है उसका जफ़ा  नहीं , वो जुदा भी रह के करीब है
वो ही आँख है मेरे रूबरू , उसी हाथ में मेरा हाथ है
जो चला गया मुझे छोड़ कर वो ही आजतक मेरे साथ है

मेरा नाम तक  जो न  ले सका , जो मुझे करार न दे सका
जिसे इख्तियार तो था मगर, मुझे अपना प्यार न दे सका
वो ही शख्स मेरी तलाश है , वो ही दर्द मेरी हयात है
जो चला गया मुझे छोड़ कर वो ही आजतक मेरे साथ है

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