Sunday, February 12, 2012

ग़ज़ल " शहजाद"


फैसला तुमको भूल जाने का
एक नया ख्वाब है दीवाने का

दिल कली का लरज़ लरज़ उठा
ज़िक्र था फिर बहार आने का

हौसला कम किसी में होता है
जीत कर खुद ही हार जाने का

ज़िन्दगी कट गई मनाते हुए
अब इरादा है रूठ जाने का

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